घर बैठे करें अस्थमा का उपचार


अस्थमा के उपचार के लिए कुछ घरेलू उपचार हैं जिनसे अस्थमा के लक्षणों को आसानी से कम किया जा सकता है। क्या आप जानते हैं अस्थमा के उपचार के लिए कई प्राकृतिक उपायों को भी अपनाया जाता है, जिससे अस्थमा की रोकथाम संभव है। लेकिन सवाल ये उठता है कि आखिर वे कौन से घरेलू नुस्खें हैं, जिनसे अस्थमा को ठीक किया जा सकता है। इतना ही नहीं अस्थमा का घरेलू इलाज कितना मुश्किल है यह भी जानना जरूरी है। क्या घर बैठे अस्थमा का उपचार हो सकता है। इत्यादि सवालों के जवाब जानना जरूरी है। तो आइए जानें कैसे घर बैठे करें अस्थमा का उपचार।
बुटेको ब्रीथ्रिंग तकनीक
यह ब्रीथिंग तकनीक सही तरह से सांस लेने में मदद करता है। इस तकनीक में आपको जोर-जोर से सांस लेनी होती है। जैसे आप गुब्बारे को फुलाने के लिए लगातार उसमें हवा भरते हैं ठीक इसी तरह आपको जोर-जोर से फूंक मारनी होती है। इस तकनीक से अस्थमा के मरीज की सांस संबंधी समस्याएं कम हो जाती हैं। यह तकनीक रक्त में कार्बनडाई ऑक्साइड की मात्रा को मात्रा कम करती है। इसके साथ ही अस्थमैटिक मरीज की श्वसन नलिका इस क्रिया को अपनाने से खुल जाती हैं और उसे खुलकर सांस लेने में मदद मिलती है। बुटेको ब्रीथिंग तकनीक को प्रणायाम का दूसरा स्वरूप माना जाता है। लेकिन यह तकनीक अस्थमैटिक मरीजों की समस्याओं को कम करने में अधिक कारगर है। इस तकनीक से एक्सरसाइज करने से चेस्ट में,गले में,डायाफ्रम और कंधों इत्यादि में तनाव कम करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही ब्रीथिंग सिस्टम को सुधारने में भी बहुत मदद मिलती है। यदि नियमित रूप से बुटेको ब्रीथिंग तकनीक को अपनाया जाता है तो लगभग 90 फीसदी अस्थमा के लक्षणों और अस्थमा अटैक को कम किया जा सकता है। इसके अलावा मरीज को बहुत कम दवाईयों के सेवन की जरूरत पड़ती है।
ओमेगा 3 फैटी एसिड 
अत्यधिक खपत वाला फैटी एसिड ओमेगा 3 और ओमेगा 6 है। अस्थ‍मैटिक मरीजों के लिए जहां ओमेटा 3 फैटी एसिड बहुत फायदेमंद है वहीं ओमेगा 6 अस्थमा को अधिक बिगाड़ सकता है। ओमगा 3 फैटी एसिड से वायुमार्ग से अस्थमा मरीजों को होने वाली तकलीफ और सूजन इत्यादि से बचाने में मदद करता है। ओमेगा 3 फैटी एसिड के कई स्रोत हो सकते हैं जैसे- मछली, ट्यूना, हलिबेट, कुछ तेल जैसे-  जैतून का तेल, हरी पत्तेदार सब्जियां, अखरोट हो सकते हैं। ओमेगा -3 फैटी एसिड को पॉलीअनसेचुरेटेड (polyunsaturated)एसिड के नाम से भी जाना जाता है। अमेरिकी हार्ट एसोसिएशन के अनुसार अस्थमैटिक मरीजों को मछली को कम से कम एक सप्ताह में दो बार खाना चाहिए।
फल और सब्जियां 
अधिक से अधिक टमाटर, गाजर और पत्तेदार सब्जियां खाने से अस्थमा अटैक को कम किया जा सकता है। अस्थमा के मरीजों को रोजाना कम से कम एक सेब खाना चाहिए जिससे वे अस्थमा रोग से लड़ने में सक्षम हो सकें। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि वयस्कों में अस्थमा का मुख्य कारण फ्रूट्स, विटामिन सी, आयरन इत्यादि खाघ पदार्थों का सेवन ना करना है। यदि बच्चे शुरू से ही रोजाना फ्रूट्स इत्यादि खूब खाएंगे तो वे अस्थमा रोग से आसानी से बच सकते हैं।

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