क्यों होती है बार-बार सीने में जलन


जब भोजन मुंह में प्रवेश करता है, तब लार भोजन में उपस्थित स्टार्च को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ने लगती है। इसके बाद भोजन इसोफैगस (भोजन नली)से होता हुआ पेट में जाता है, जहां पेट की अंदरूनी परत भोजन को पचाने के लिए पाचक उत्पाद बनाती है। इसमें से एक स्टमक एसिड है। कईं लोगों में लोवर इसोफैगियल स्फिंक्टर (एलईएस) ठीक से बंद नहीं होता और अक्सर खुला रह जाता है। जिससे पेट का एसिड वापस बहकर इसोफैगस में चला जाता है। इससे छाती में दर्द और तेज जलन होती है। इसे ही जीईआरडी या एसिड रिफ्लक्स कहते हैं। कभी न कभी हर किसी को इस समस्या का सामना करना पड़ जाता है। अधिकतर लोगों को यह समझ में नहीं आता कि हार्ट बर्न और एसिड रिफ्लक्स में क्या अंतर है। एसिड का इसोफैगस में पहुंचना एसिड रिफ्लक्स है, इसमें  दर्द नहीं होता। जबकि हार्ट बर्न में छाती के बीच में दर्द, जकड़न और बेचैनी होती है। यह तब होता है जब इसोफैगस की अंदरूनी परत नष्ट हो जाती है। एसिड रिफ्लक्स बिना हार्ट बर्न के हो सकता है, पर हार्ट बर्न बिना एसिड रिफ्लक्स के नहीं हो सकता। एसिड रिफ्लक्स कारण है और हार्ट बर्न उसका प्रभाव है। सामान्य से अधिक मात्र में एसिड स्राव होने को जोलिंगर एलिसन सिंड्रोम कहते हैं। यहां यह समझना जरूरी है कि एसिड हमारे लिए बहुत उपयोगी है। जैसे पेप्सिन एंजाइम,  प्रोटीन के पाचन के लिए आवश्यक है। पेट की अंदरूनी परत से स्रावित हाइड्रोक्लोरिक एसिड भी कईं भोज्य पदार्थों के पाचन के लिए जरूरी है। ये एसिड अग्नाश्य को ठीक रखने  के लिए जरूरी होते हैं। 

एसिडिटी के कारण

- शारीरिक रूप से सक्रिय न रहना, नियत समय पर खाना न खाना और सामान्य से अधिक वजन होना एसिडिटी बढ़ाता है।
- पेट पर दबाव पड़ना। यह मोटापा, गर्भावस्था, बेहद तंग कपड़े पहनने से हो सकता है।
- हर्निया और स्क्लेरोडर्मा भी वजह हो सकती है।
- खाना खाने के तुरंत बाद सो जाना।
- मसालेदार भोजन, जूस, खट्टे फल, लहसुन, टमाटर आदि का अधिक मात्रा में सेवन।
- धूम्रपान और तनाव से भी एसिडिटी होती है।
- कुछ दवाएं जैसे एस्प्रिन, नींद की गोलियां और पेन किलर एसिडिटी के कारक का काम करती हैं। 

लक्षण

छाती में दर्द: छाती में दर्द तब होता है जब पेट का एसिड इसोफैगस में पहुंच जाता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर को दिखाना बेहतर होगा। 
गले में खराश: पाचन तंत्र की समस्याओं के कारण भी गले की खराश हो सकती है। बिना सर्दी-जुकाम अगर खाने के बाद गले में दर्द होता है तो इसका कारण एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।
चक्कर आना: कई बार एसिडिटी के लक्षण चक्कर आने के रूप में भी दिखायी देते हैं।
लार का अधिक स्राव:  मुंह में अचानक लार का स्राव बढ़ने से एसिड रिफ्लक्स हो सकता है।

कई बीमारियों का कारण है एसिडिटी
एसिडिटी एक बहुत ही सामान्य और आम समस्या है, पर अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया जाए तो यह समस्या कई अन्य रोगों को आमंत्रण दे सकती है।
अस्थमा
कई बार एसिड के फेफड़ों में जाने से श्वसन तंत्र की समस्याएं हो जाती हैं। सर्दी और आवाज के साथ सांस लेना अस्थमा को ट्रिगर करने का कारक बन सकता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि पेट का एसिड छाती की तंत्रिकाओं को ट्रिगर कर श्वास नलियों को संकुचित कर देता है। इतना ही नहीं जिन लोगों को पहले से अस्थमा है, उनमें अस्थमा दवाएं एसिडिटी को बढ़ा देती हैं।
एनीमिया
लंबे समय तक एसिडिटी का उपचार करने वाली दवाओं के सेवन से कई महत्वपूर्ण पोषक तत्वों, विटामिनों और मिनरल्स का अवशोषण प्रभावित होता है। आयरन का स्तर भी कम हो जाता है, जिससे एनीमिया हो सकता है।हड्डियों का कमजोर हो जाना
एसिडिटी को नियंत्रित करने वाली दवाओं से कैल्शियम का अवशोषण भी प्रभावित होता है। जिसका प्रभाव जोड़ों के दर्द के रूप में दिखता है।

इसोफैगियल कैंसर और निमोनिया
गंभीर एसिडिटी का समय रहते उपचार न कराना इसोफैगियल कैंसर का कारण बन सकता है। इसके अलावा एसिडिटी में ली जाने वाली दवाओं से पेट में एसिड की  कमी हो जाती है, जो बैक्टीरिया उत्पत्ति के लिए आदर्श स्थिति है। इससे फेफड़ों में संक्रमण और निमोनिया की आशंका बढ़ जाती है।
सही करवट सोएं
फिलाडेल्फिया में हुए एक शोध के अनुसार जिन लोगों को रात में सोने के समय एसिडिटी की समस्या है अगर वह दायीं करवट से सोएं तो उन्हें आराम मिलेगा। सीधे व कमर के बल सोने पर एसिड वापस फिसलकर इसोफैगस में आ जाता है। सिर के नीचे थोड़ा ऊंचा तकिया रख सोने पर एसिड को इसोफैगस में जाने से रोक सकते हैं।
युवाओं में बढ़ी सीने में जलन की समस्या 
लोग हमेशा छाती में दर्द को हार्ट अटैक से जोड़ते हैं, पर कई बार यह दर्द फूड पाइप की वजह से भी होता है। इसे नॉन  कार्डिएक चेस्ट पेन कहते हैं। इसमें कार्डिएक चेस्ट पेन के साथ दिखाई देने वाले लक्षण जैसे पसीना आना, सांस फूलना नहीं होते हैं। वैसे दोनों में अंतर करना कठिन होता है, अत: तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हालांकि सीने की जलन  जीवनशैली से जुड़ी समस्या है। आप अगर सही समय पर नहीं खाएंगे, ज्यादा मसालेदार और तलाभुना खाएंगे, शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं रहेंगे तो आसानी से इसके शिकार हो जाएंगे। यही कारण है कि आज युवा भी इसके तेजी से शिकार हो रहे हैं। उनके लिए जरूरी है कि वे नियत समय पर पोषक भोजन करें, जंक फूड या अधिक तले से दूर रहें। खाना खाते समय टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर से दूर रहें। नियमित रूप से एक्सरसाइज करें। तनाव न पालें। अगर यह सब करने के बाद भी एसिडिटी की समस्या रहे तो एंडोस्कोपी करवाएं। 
एसिडिटी से जुड़े मिथक  
एसिडिटी के बारे में कईं गलत धारणाएं हैं जो इसके उचित उपचार में बाधा बनती हैं।
दूध एसिडिटी में आराम पहुंचाता है
आम धारणा है कि दूध एसिड को निष्प्रभावी कर आराम पहुंचाता है। जबकि सच यह है कि दूध में पाया जाने वाला कैल्शियम पेट में एसिड के स्राव को उत्प्रेरित कर देता है और समस्या को और बढ़ा देता है। इसके अलावा दूध को पचाना भी मुश्किल होता है और इसके लिए पेट को अधिक मात्र में एसिड स्नवित करना पड़ता है। पीना है तो ठंडा दूध पिएं।  
मसालेदार भोजन से हमेशा परहेज 
यह एसिडिटी से जुड़ा हुआ एक और मिथ है। अगर आपको एसिडिटी है तो इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आपको हमेशा फीका और बिना मसालेदार भोजन करना होगा। सिर्फ आप मसाले का प्रयोग थोड़ा कम करें। इसी तरह  कैफीनयुक्त चीजों का सेवन भी कम मात्र में करें। पोषक भोजन और पेय पदार्थो के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
एंटासिड दवाएं पूरी तरह सुरक्षित 
बिना सोचे-समझे कोई भी दवाई न लें। अधिकतर मामलों में इन दवाइयों का प्रभाव थोड़े समय तक ही रहता है और लक्षण वापस लौटकर आ सकते हैं। इन दवाइयों के गंभीर साइड इफेक्ट्स भी होते हैं, जिनमें निमोनिया और हड्डियों से संबंधित समस्याएं भी हैं। जो तुरंत तो दिखाई नहीं देते लेकिन लंबे समय तक इनके सेवन से यह नजर आने लगते हैं। इसके अलावा लंबे समय तक इन दवाओं का सेवन शरीर में पोषक तत्वों के अवशोषण पर भी प्रभाव डालता है।
अधिक एसिड के स्नव से होती है एसिडिटी 
एसिडिटी से पीड़ित लोगों के पेट में भी एसिड की मात्र सामान्य लोगों जितनी ही रहती है। समस्या तब शुरू होती है जब एसिड पेट में रहने के बजाए इसोफैगस में चला जाता है। लेकिन फिर भी डॉक्टर पेट के एसिड को कम करने वाली दवाइयां देते हैं क्योंकि ऐसी कोई दवाई नहीं है जो एसिड रिफलक्स के कारकों को दूर करने में राहत दे सकें।

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