बच्चे के जन्म से जुड़े मिथकों का भंडाफोड़


जब भी कोई महिला गर्भवती होती है उसे लोगो से अनगिनत सलाह सभी दिशाओं से मिलने लगती है। समस्या अच्छी सलाह मिलने से नही है बल्की उन सलाहों से है जो कभी भी वैज्ञानिक तथ्यों पर कभी भी खरी नही उतरती बस उन सलाहों का संचार एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में बिना तर्क के आधार किया जाता रहा है और अधिकतर महिलाये अपने होने वाले बच्चे के भलाई की खातिर उन सलाहों को बिना सोचे समझे मनाने लगती है। आज हम उन्ही मिलने वाली सलाहों में से कुछ मिथकों का भंडाफोड़ करने जा रहे है जिसे आम लोग आज भी बिना किसी तर्क के अपनाते है।

1 मिथक: दीवार पर सुन्दर बच्चे का फोटो लगाने से बच्चा सुन्दर होगा। 

सच्चाई: किसी भी जन्म लेने वाले बच्चे की शरीरिक सरंचना उसके आनुवंशिक-तत्व पर निर्भर करती है बच्चे की शरीरिक बनावट दीवार पर लटकी कोई तस्वीर कभी भी निश्चित नही कर सकती है। हालांकि गर्भावस्था के दौरान दीवार पर फोटो लटकाना फिर भी होने वाले बच्चे के लिए एक भलाई का ही काम है क्योकि इन चित्रों की वजह से ही एक गर्भवती महिला में सकारात्मक उर्जा का प्रवाह होता है और महिला तनाव से दूर रहती है। जो बच्चे की वृद्धि और विकास में बाधा बनता है अगर आप हमेशा सकारात्मक रहती है तो बिना दीवार पर तस्वीर लगाये आप एक स्वस्थ और प्यारे बच्चे को जन्म दे सकती है।

2 मिथक:सातवें महीने में नारियल पानी पीने से बच्चे के सिर बड़ा होता है।

सच्चाई : नारियल पोटेशियम का एक अच्छा स्रोत है और शरीर के अनुकूल इसका सेवन पेट और स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा होता है पर इससे बच्चे के सिर के आकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। गर्भावस्था के दौरान नारियल पानी पीने के कई कारण हो सकते है पर बच्चे के सिर बड़ा हो कतई नही।

3. मिथक: नारियल पानी के के कारण ही बच्चे के बाल अधिक होते है।

सच्चाई : कई लोग मानते है की नारियल पानी पीने के कारण ही बच्चे के बाल अधिक होते है और महिला के पेट में गैस बनती है नारियल पानी का ये तथ्य भी पहले के तरह गलत है इसमे कोई सच्चाई नही है आम तौर पर तीसरे महीने में बच्चे का सिर निचे होता है और पेट बढ़ने के परिणामस्वरूप गैस बनती है।

4. मिथक: सबसे पहले सफेद रंग का भोजन करने से बच्चे का रंग गोरा होता है। 

सच्चाई : बच्चे को गोरा रंग देने की चाहत में कई घरो में दुल्हन का सुबह के खाने को दूध रोटी या अन्य किसी सफेद भोजन से बदल दिया जाता है यह सरासर मिथक है इसमे कोई सच्चाई नही है क्योकि नवजात शिशु के रंग पर खाना खाने का कोई असर नही होता ये सब आनुवंशिकी तत्वों पर निर्भर करता है। गर्भावस्था के दौरान दूध अंडा ब्रॉकली पालक पनीर टोफू फल मीत मछली और अन्य कई पौष्टिक आहार लेने चाहिए

5. मिथक: ग्रहण के दौरान किसी भी गतिविधि में लिप्त होने से बच्चे में दोष पैदा हो जायेगा।

सच्चाई : ग्रहण लगना एक प्राकृतिक घटना है।इससे बच्चे में कोई दोष नही पैदा होता और न ही वो बेढंगा होता है। इसका ये बिल्कुल मतलब नही है कि आप नग्न आंखों से ग्रहण देख सकती है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण में जनरल सावधानियों के कदम उठाए जाने की जरूरत होती है।

6. मिथक: पेट के आकार बच्चे के लिंग पता किया जा सकता है।

सच्चाई : गर्भधारण के बाद सबसे अधिक चर्चित विषय होता है लड़का होगा या लड़की . कई लोग पेट के आकार देखकर लिंग का अनुमान लगाते है बिना टेस्ट के ये कतई पता नही लग सकता लड़का है या लड़की। कई लोग लड़की की चाल देखकर लिंग तय करने का दावा करते है। कोई पेट में बच्चे के लात मरने की गिनती करके तो कोई फेस रीडिंग करके और कई लोग महीने गिनती करके बच्चे के लिंग की भविष्यवाणी करने की कोशिश करते है।

7. मिथक: घी या तेल खाने से बच्चे को प्रसव के दौरान आसानी होगी। 

सच्चाई : घी या तेल बच्चे को किसी भी तरह बाहर फिसलने में मदद नहीं करता है।ये पदार्थ सिर्फ आपके शरीर में कैलोरी प्रदान करते है जो बच्चे के जन्म के समय काम आती है। कभी भी अधिक वसायुक्त भोजन करने से बचना चहिये। गर्भावस्था के समय सिर्फ और सिर्फ संतुलित आहार को ही प्रथिमिकता देनी चाहिए।

8. मिथक: दो लोगों के लिए खा रहे है।

सच्चाई : यह काफी आम धारणा है कि आप दो लोगों के लिए खा रहे हैं लेकिन ये गलत है। आप भोजन की मात्रा दोगुनी नही कर सकते। कई गर्भवती लेडी को खाद्य समूहों में सिर्फ पोषण वसा की मात्रा अधिक दी जाती है जबकि उसकी जरूरत नही होती। गर्भवती महिलाओं की गर्भावस्था अलग अलग होती है इसलिए बिना डाक्टर की सलाह लिए आप ऐसा कुछ न करे। डॉक्टर की सलाह से आप भोजन में बेहतर विकल्प चुन सकती है। 

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