हाथों के निम्नलिखित रोग हो सकते हैं-
1. हाथ की त्वचा का फट जाना (चापेड हन्डस)
नैट्रम कार्ब :-
हाथों की त्वचा खुश्क हो जाए, खुरदरी हो और फट जाए, हाथों पर मस्से होना, हाथों पर लाल दाग पड़ना, अंगुलियों पर छोटे-छोटे छाले पड़ना। इस प्रकार के लक्षणों को ठीक करने के लिए नैट्रम कार्ब औषधि की 12 शक्ति का उपयोग कुछ दिनों तक करते रहना चाहिए।
इस रोग को ठीक करने के लिए रोगी को रात के समय में सोते समय ग्लिसरीन को हाथों में मल लेना चाहिए।
पेट्रोलियम :-
इस रोग का उपचार कई प्रकार की औषधियों से करने पर आराम न मिले तो सुबह तथा शाम के समय में पेट्रोलियम औषधि का उपयोग करना चाहिए। त्वचा पर इस औषधि का अधिक प्रभाव पड़ता है। त्वचा खुश्क होना, सिकुड़ जाना, अधिक नाजुक हो जाना, खुरदरी रहना और फटी-फटी रहना आदि चर्मरोग को ठीक करने के लिए इसका उपयोग लाभदायक है। जहां पर त्वचा फटने के कारण खून निकल रहा हो उस स्थान के रोग ग्रस्त भाग को ठीक करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति का उपयोग सुबह तथा शाम करना चाहिए।
कैल्केरिया कार्ब :-
हाथ फटने पर सुबह-शाम इस औषधि की 12 शक्ति का प्रयोग करने से अधिक लाभ मिलेगा।
2. हाथों में दर्द (पेन्स इन हैन्डस)
ऐक्टिया रेसिमोसा (सिमिसिफ्यूगा) :-
शरीर के किसी भी भाग में दर्द होना या अकड़न होना, यहां-वहां शरीर के किसी अंग में बिजली जैसा करंट महसूस होना, हाथ-पैर की मांस-पेशियों में दर्द होना, शरीर के कई बड़े अंगों की मांसपेशियों में दर्द होना, हाथों में ठण्डा पसीना आना, लिखते समय अंगुलियां कांपना, नर्वस स्त्रियों के गर्भाशय सम्बंधी रोगों में हाथ-पैर भारी होना आदि लक्षण होने पर उपचार करने के लिए इस औषधि की 3 या 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग किया जा सकता है।
कॉलोफाइलम :-
अंगुलियों तथा कलाई को हिलाने या मुट्ठी भींचने में दर्द होता है और अंगुलियां कड़ी पड़ जाती हैं। इस प्रकार की अवस्था होने पर चिकित्सा करने के लिए इस औषधि की 3 शक्ति का प्रयोग प्रति आठ घंटे पर करना चाहिए।
लीडम :-
छोटे जोड़ों की हडि्डयों में दर्द होना, जोड़ों में चटखने की आवाजें आना, बर्फीले पानी से कुछ आराम मिलना। जोड़ों के दर्द वाले हाथ-पैर को बर्फ के पानी में रखने से दर्द में कुछ आराम मिलता है। ऐसे रोगी के रोग को ठीक करने के लिए 3 या 30 शक्ति की मात्रा का प्रयोग करने से लाभ मिलता है।
रस टॉक्स :-
कलाई में मोच आने से दर्द होना, अंगुलियों के सभी जोड़ों में दर्द होना, आराम करने से दर्द बढ़ना, हाथ-पैरों को हिलाने से दर्द घटना आदि लक्षण होने पर चिकित्सा करने के लिए इस औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभदायक है।
ब्रायोनिया :-
रोगी के अंगुलियों के जोड़ों में सूजन होना, उनका पीलापन पड़ना, गर्म होना, किसी प्रकार से हाथ-पैरों को हिलाने से दर्द बढ़ना आदि लक्षण होने पर इसकी 30 शक्ति से उपचार करना लाभकारी होता है।
रूटा :-
कलाई तथा हाथ के अकड़ जाने पर दर्द होना, हथेली पर चपटा मस्सा होना, हाथ तथा कलाई की पीठ में दर्द होना जैसे रगड़ गई हो। इस प्रकार के लक्षणों से पीड़ित रोगी के रोग को ठीक करने के लिए रूटा औषधि की 6 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।
3. हाथों में पसीना आना (पेर्सिपिरेशन ऑफ हैन्ड) :-
पिकरिक ऐसिड :-
हाथों में से ठण्डा चिपचिपा पसीना आने पर चिकित्सा करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।
कैलकेरिया कार्ब :-
हाथ में सूजन होना, हाथ की अंगुलियों के जोड़ में सूजन होना और हाथ में पसीना आना। इस प्रकार के लक्षणों को दूर करने के लिए कैलकेरिया कार्ब औषधि की 200 शक्ति की मात्रा का उपयोग लाभकारी है।
फ्लोरिक ऐसिड :-
हथेलियों से लगातार पसीना आना, नाखूनों के अन्दर चुभन महसूस होना, अंगुलियों में सुई चुभने जैसा दर्द होना। इस प्रकार के लक्षण होने पर उपचार करने के लिए इस औषधि की 6 शक्ति का सेवन करने से अधिक लाभ मिलता है।
सल्फर :-
सल्फर औषधि की 200 शक्ति के द्वारा इस रोग का उपचार किया जा सकता है।
4. नाखून की सूजन (हैंगनेल्स) :-
नैट्रमम्यूर :-
नाखून का वह भाग जो मांस से जुड़ा रहता है उस भाग में सूजन होने पर उपचार करने के लिए नैट्रम-म्यूर औषधि की 30 शक्ति की मात्रा का उपयोग किया जाता है।