...तो इस जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं इरफ़ान खान !


बॉलीवुड एक्टर इरफान खान को ब्रेन ट्यूमर के चलते कोकिलाबेन अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से एक पोस्ट कर बताया था कि वो किसी गंभीर बीमारी से जूंझ रहे हैं। लेकिन अब सामने आ गया है कि वे ब्रेन ट्यूमर जैसी जानलेवा बीमारी से पीड़ित हैं।

इरफान खान ब्रेन ट्यूमर की चौथी स्टेज पर है, जहां यह बीमारी और भी जानलेवा साबित हो सकती है। इसके अलावा खबर यह भी है कि जल्द ही उनका ऑपरेशन किया जा सकता है। इरफान खान ने खुद सोमवार को एक ट्वीट करते हुए लिखा था कि पिछले 15 दिनों से उनकी जिंदगी खतरे में चल रही है। 

आइये जानते हैं की आखिर ब्रेन कैंसर क्या है?
ब्रेन कैंसर, कैंसर का वह रूप है जो मस्तिष्क (ब्रेन) से शुरू होता है। ब्रेन कैंसर मस्तिष्क की एक प्रकार की बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क के ऊतकों में कैंसर कोशिकाएं (घातक कोशिकाएं) पैदा होने लगती हैं। कैंसर की कोशिकाएं मस्तिष्क में ऊतकों के समूह या एक ट्यूमर के रूप में ऊभरती हैं, जो मस्तिष्क के कार्यों में बाधा उत्पन्न करती हैं। जैसे मांसपेशियों के नियंत्रण में परेशानी, सनसनी, यादाश्त और अन्य मस्तिष्क कार्यों को प्रभावित करना।

कैंसर जो मस्तिष्क में शुरू होता है उसको प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर कहा जाता है। यह ट्यूमर मस्तिष्क की संरचना से जुड़े किसी भी भाग में विकसित हो सकता है। जो कैंसर शरीर के किसी अन्य भाग से मस्तिष्क में फैलता है, उसे सेकंडरी ब्रेन ट्यूमर या ब्रेन मेटास्टेस (Metastases) कहा जाता है। ब्रेन कैंसर ट्यूमर मस्तिष्क पर अधिक दबाव डालता है, जिससे या तो वह ऊतक नष्ट होने लग जाते हैं या शरीर के अन्य भागों में समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं।

ब्रेन कैंसर के लक्षण व संकेत क्या होते हैं?
मेटास्टेटिक ब्रेन ट्यूमर के संकेत और लक्षण काफी सूक्ष्म हो सकते हैं, जिनका पता लगाने (खासकर पहली बार) में परेशानी हो सकती है। ये ट्यूमर अक्सर किसी दूसरी स्थिति की जांच के दौरान दिखाई देते हैं। इसके लक्षण विकसित होने का कारण यह होता है कि ब्रेन का ट्यूमर या तो मस्तिष्क पर दबाव डाल रहा होता है या फिर उसके किसी हिस्से को ठीक से काम करने से रोक रहा होता है।

इस दौरान मरीज क्या अनुभव कर रहा हैं? आम तौर पर यह इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूमर कहां पर है और आकार में कितना बड़ा है।

संभावित लक्षण जिनमें शामिल हैं:
कभी-कभी मतली और उल्टी के साथ सिर दर्द - यह समस्या ट्यमर के कारण होती है जो आस-पास के ऊतकों को दबाकर खोपड़ी में दबाव बनाता है। आम तौर पर स्थिति सुबह के समय बद्तर होती है और दिन निकलने के साथ-साथ कम होती जाती है।

पूरे शरीर में या आंशिक रूप से दौरे पड़ना, मांसपेशियों में ऐंठन, असामान्य गंध या स्वाद, बोलने में समस्या या सुन्नता और झुनझुनी अनुभव करना।
बोलने, समझने और देखते में समस्या- ब्रेन में ट्यूमर मस्तिष्क के उस भाग को प्रभावित कर सकता है, जो इन क्षमताओं को नियंत्रित करते हैं।

शारीरिक कमजोरी और सुन्नता, यह तब होती है जब ट्यूमर मस्तिष्क के उन हिस्सों को प्रभावित करता है जो मांसपेशियों को नियंत्रित करते है। यदि ट्यूमर मस्तिष्क से मांसपेशियों तक जाने वाले सामान्य संकेतों के रास्ते में विकसित हो जाता है तो यह ब्रेन की कार्यगति (Brain motor fuctions) में परेशानी पैदा करता है।

ब्रेन कैंसर के साथ जुड़े अन्य लक्षण:
  • दौरे पड़ना,
  • संवेदी (स्पर्श) और ब्रेन की कार्यगति (मूवमेंट कंट्रोल) में कमी,
  • बहरापन,
  • उनींदापन या उंघना,
  • थकान,
  • समन्वय में कमी,
  • चेहरे पर कमजोरी का भाव,
  • दोहरा दिखाई देना,
  • डिप्रेशन (अवसाद),
व्यवहारिक और सोचने समझने की क्षमता में परिवर्तन।
उपरोक्त लक्षण ट्यूमर के प्रकार, आकार और उसकी जगह से जुड़े हो सकते हैं। इसके साथ ही साथ ये ब्रेन कैंसर को नियंत्रित करने के लिए उपचार में भी मदद करते हैं। सर्जरी, विकिरण (रेडिएशन), कीमोथेरेपी, और अन्य सभी प्रकार के उपचारों में नए लक्षण उत्पन्न करने की क्षमता होती है, क्योंकि ये ट्यूमर के प्रभाव को कम करने के लिए काम करते हैं।

ब्रेन कैंसर क्यों होता है?
यह निश्चित रूप से पता नही लगाया जा सका है कि अधिकतर ब्रेन कैंसर का क्या कारण है। लेकिन, कुछ ऐसे कारक हैं जो ब्रेन कैंसर के विकसित होने के जोखिम को बढ़ा देते हैं। विभिन्न प्रकार के कैंसर के विभिन्न जोखिम कारक हो सकते हैं:

लंबे समय तक किसी केमिकल या रेडिएशन के संपर्क में रहना ब्रेन कैंसर के विकसित होने का एक जोखिम कारक है। आम तौर पर लोग अपने कार्यस्थल आदि पर ऐसी चीजों के संपर्क में आते हैं। यह उन लोगों में अधिक आम होता है, जिन्होनें पहले कभी रेडियोथेरेपी, सीटी स्कैन या सिर का एक्स-रे आदि करवाया होता है। इनमें भी खासकर उनका, जिनका बचपन में कैंसर के लिए स्कैन या उपचार किया गया हो।

जिन लोगों को बचपन में कैंसर हुआ हो, उनमें बाद की जिंदगी में ब्रेन कैंसर विकसित होने के उच्च जोखिम होते हैं। जिन लोगों को वयस्क होने के बाद कभी ल्यूकेमिया हुआ हो, उनके लिए भी ब्रेन कैंसर के जोखिम बढ़ जाते हैं।
आनुवंशिक रूप से विरासत में मिली बीमारियां भी किसी व्यक्ति को ब्रेन ट्यूमर के लिए अतिसंवेदनशील बना सकती हैं। अगर किसी व्यक्ति के माता-पिता या भाई-बहन में से किसी को ब्रेन ट्यूमर है या था, तो उसके लिए सामान्य लोगों के मुकाबले जोखिम ज्यादा हो सकते हैं।

ब्रेन कैंसर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है, उम्र बढ़ने के साथ-साथ, ब्रेन कैंसर होने के जोखिम भी बढ़ते जाते हैं। लेकिन ब्रेन ट्यूमर के कुछ ऐसे प्रकार भी हैं, जो कम उम्र के लोगों के लिए ज्यादा आम होते हैं।
एचआईवी एड्स के से ग्रसित लोगों में आम लोगों की तुलना में ब्रेन ट्यूमर मिलने के अधिक जोखिम होते हैं। यह रोगप्रतिरोग क्षमता में कमजोरी से भी जुड़ा हो सकता है। (और पढ़ें - एचआईवी एड्स के लक्षण)

उपरोक्त जोखिम कारक होने का मतलब यह जरूरी नहीं है कि इससे निश्चित रूप से ब्रेन कैंसर विकसित हो सकता है।

ब्रेन कैंसर की रोकथाम कैसे की जा सकती है?
ब्रेन कैंसर को रोकने का कोई तरीका नहीं है, हालांकि मस्तिष्क में फैलने वाले ट्यूमर का जल्दी निदान और उपचार मस्तिष्क में ट्यूमर विकसित होने के जोखिम को कम कर सकता है।
प्राइमरी ब्रेन कैंसर के जोखिम बनने वाले कुछ संभावित कारक जैसे सिर में विकिरण थेरेपी, एचआईवी संक्रमण और वातारण के विषाक्त पदार्थ भी हो सकते हैं। इसलिए इनके संपर्क में आने से बचने के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव करने की सलाह दी जाती है।
हालांकि, ब्रेन कैंसर के विकसित होने के विशेष कारणों के बारे में कोई नहीं जानता, खासकर प्राइमरी ब्रेन कैंसर के कारण को। इसलिए इसकी रोकथाम करने के किसी विशेष तरीके की जानकारी नहीं है।

ब्रेन कैंसर का परीक्षण कैसे किया जा सकता है?
अगर आपको ऐसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, जो ब्रेन कैंसर का संदेह उत्पन्न करते है तो ऐसे में डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे और आपकी तथा आपके परिवार की पिछली स्वास्थ्य और मेडिकल स्थिति के बारे में पूछेंगे।

इसके तहत निम्नलिखित टेस्ट की जरूरत पड़ सकती है:
 
न्यूरोलॉजिक (तंत्रिका संबंधी) परीक्षण – 
डॉक्टर आपके देखने व सुनने की शक्ति, मांसपेशियों में शक्ति, समन्वय और सजगता आदि की जांच करेंगे। डॉक्टर आंखों में सूजन की भी जांच करेंगे, जो मस्तिष्क में दबाव बढ़ने के कारण मस्तिष्क से आंखों को जोड़ने वाली नसों में दबाव आने के कारण आती है।

एमआरआई (MRI) – 
मस्तिष्क के ऊतकों में आए बदलावों के देखने के लिए एमआरआई से तस्वीरें ली जाती है। इसकी तस्वीरों में असामान्य जगहों को पहचाना जाता है, जैसे कि कोई ट्यूमर।

सीटी स्कैन (CT scan) – 
इसके इस्तेमाल भी मस्तिष्क में ट्यूमर जैसे असामान्य क्षेत्रों को देखने के लिए किया जाता है। (और पढ़ें - सीटी स्कैन क्या है)

एंजियोग्राम (Angiogram) – 
अगर मस्तिष्क में कैंसर है, तो उसे एंजियोग्राम की मदद से देखा जा सकता है।

बायोप्सी (Biopsy) – 
इसमें ट्यूमर की कोशिकाओ को देखने के लिए ऊतक का नमूना निकाला जाता है। बायोप्सी की मदद से ऊतकों के बदलाव जो कैंसर का कारण बन सकते हैं उनका एवं अन्य स्थितियों के बारे में पता लगाया जाता है। एक बायोप्सी मस्तिष्क कैंसर का निदान करने और उपचार की योजना तैयार करने का एकमात्र निश्चित तरीका है।

ब्रेन कैंसर का उपचार कैसे किया जाता है?
ब्रेन कैंसर का उपचार आम तौर पर कैंसर के प्रकार, आकार और स्थान पर निर्भर करता है। इसके साथ ही साथ आपके समग्र स्वास्थ्य और आपकी प्राथमिकताएं भी महत्वपू्र्ण भूमिका निभाती हैं।


1. सर्जरी (Surgery)-
अगर मस्तिष्क में ट्यूमर ऐसी जगह पर स्थित है, जहां पर ऑपरेश्न की मदद से पहुंचा जा सकता है, तो डॉक्टर ट्यूमर को जितना हो सके बाहर निकालने की कोशिश करते हैं।
कुछ मामलों में ट्यूमर, छोटा और मस्तिष्क से आसानी से निकल जाने की दशा में होता है, जिससे सर्जरी के माध्यम से हटाना संभव होता है। वहीं, कुछ मामलों में ट्यूमर ऐसी दशा में होता है जिसको मस्तिष्क से अलग नहीं किया जा सकता या वह किसी संवेदनशील जगह के आस पास होता है, जिससे सर्जरी जोखिम भरी बन जाती है। ऐसी स्थिति में डॉक्टर उतना ही ट्यूमर हटाने की कोशिश करते हैं, जितना संभव हो पाता है।
ब्रेन कैंसर ट्यूमर से कुछ हिस्से को हटाने से भी ब्रेन कैंसर से संकेत व लक्षण कम हो जाते हैं।
सर्जरी द्वारा ब्रेन ट्यूमर को निकालने के साथ संक्रमण और खून बहने जैसे जोखिम होते हैं। अन्य लक्षण उस जगह पर निर्भर करते हैं, जहां पर ब्रेन ट्यूमर विकसित हुआ है। सर्जरी को चुनने से पहले उसके सभी जोखिमों के समझने के लिए डॉक्टर से बात करें।

2. रेडिएशन थेरेपी (Radiation therapy)
रेडिएशन थेरेपी में ट्यूमर ग्रसित कोशिकाओं को मारने के लिए एक्स-रे या प्रोटोन्स जैसी उच्च उर्जा की किरणों का इस्तेमाल किया जाता है। विकिरण चिकित्सा आपके शरीर के बाहर एक मशीन से आ सकती है, जिसे एक्सटर्नल बीम रेडिएशन कहा जाता है। बहुत ही कम मामलों में मशीन को शरीर के अंदर और मस्तिष्क के पास लगाया जाता है, जिसे ब्रैकीथेरेपी (Brachytherapy) कहा जाता है।
एक्सटर्नल बीम रेडिएशन सिर्फ उस जगह पर फोकस करती है, जहां पर ट्यूमर होता है। कई बार इसका फोकस पूरे मस्तिष्क पर लगा दिया जाता है, इसे पूर्ण मस्तिष्क पर विकिरण (Whole-brain radiation) कहा जाता है, इसका प्रयोग खासकर उस प्रकार के कैंसरों के इलाज के लिए किया जाता है जो शरीर के किसी अन्य हिस्से से मस्तिष्क में फैल जाते हैं।

3. कीमोथेरेपी (Chemotherapy) - 
कीमोथेरेपी में ट्यूमर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए दवाओं का उपयोग किया जाता है। कीमोथेरेपी की दवा, खाने के लिए टेबलेट और नसों में इंजेक्शन के रूप में दी जाती है। कीमोथेरेपी की कई प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल कैंसर के प्रकार के अनुसार किया जाता है।
कीमोथेरेपी की दवाओं के साइड इफेक्ट उसकी खुराक पर निर्भर करते हैं, इसके कारण बाल झड़ना, मतली और उल्टी जैसे समस्याएं हो सकती हैं।

4. टारगेटेड दवा थेरेपी (Targeted drug therapy)
लक्षित या टारगेटेड दवाओं द्वारा उपचार का मुख्य लक्ष्य उन विशेष असामान्यताओं पर होता है जो ब्रेन कैंसर के दौरान दिखाई देती हैं। इन असामान्यताओं को रोककर, कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है।
इन दवाओं को नसों में इंजेक्शन के द्वारा लगाया जाता है, जिससे नई रक्त वाहिकाओं को बनने से रोका जाता है, ब्रेन कैंसर की कोशिकाओं में खून की सप्लाई को बंद कर दिया जाता है और कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर दिया जाता है।

5. पैलीएटिव केयर (प्रशामक चिकित्सा; Palliative care)-
इस उपचार में मुख्य रूप से रोग के लक्षणों को कम करने, जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने और रोगी तथा उसके परिवार वालों को सहारा देने पर ध्यान दिया जाता है। दर्दनिवारक उपचार व्यापक रूप से काफी भिन्न होते हैं, इनके साथ अक्सर दवाएं, पोषक तत्वों में बदलाव, आराम करने की तकनीक, भावनात्मक सहायता और अन्य प्रकार की थेरेपी शामिल होती हैं।

कोई भी व्यक्ति, अपनी उम्र, कैंसर के प्रकार या स्टेज की परवाह किए बिना दर्दनिवारक उपचार ले सकता है। यह और भी बेहतर काम करता है, जब यह उतना ही जल्दी शुरू की जाए जितना जल्दी उपचार की प्रक्रिया आवश्यक होती है। लोग एक ही समय में ट्यूमर के इलाज की दवाएं और साइड इफेक्ट को कम करने की दवाएं एक साथ ले सकते हैं। बल्कि, जो मरीज इन दोनों प्रकार की दवाओं को एक साथ लेते हैं, उनके लक्षण कम गंभीर होते हैं। जो मरीज इसप्रकार से अपना इलाज पाते हैं वे जीवन की बेहतर गुणवत्ता एवं उपचार संतुष्टि का अनुभव करते हैं।

6. उपचार के बाद पुनर्वास​ (Rehabilitation after treatment)
क्योंकि ब्रेन ट्यूमर मस्तिष्क के उन हिस्सों में विकसित हो सकता है जो मस्तिष्क की कार्यशीलता (मोटर स्किल्स), दृष्टि, बोलने और सोचने-समझने जैसे कार्यों को नियंत्रित करती है, इसलिए उपचार के बाद पुनर्वास की सुविधा स्वस्थ होने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकता है। आपके डॉक्टर आपको उन सेवा प्रदाताओं के पास भेज सकते हैं, जो आपकी मदद कर सकती हैं, जैसे:

शारीरिक थेरेपी (Physical therapy) –
यह  मष्तिष्क के क्रियाशील रूप (मोटर स्किल्स )में आई हुई कमी या मांसपेशियों की ताकत को फिर से हासिल करने में मदद कर सकती है।
स्पीच थेरेपी (Speech therapy) –
यह विशेष रूप से ठीक बोलने में परेशानी महसूस करने वाले मरीजों की दी जाती है, जो मरीज को पहले की तरह बोलने की आदत व क्षमता को फिर से वापस पाने में मददगार होती हैं।

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