चंद्रग्रहण लगने से ये ग्रह होंगे सबसे ज्यादा प्रभावशाली, इन उपायों को करना होगा शुभ


इस बार साल का पहला चंद्रग्रहण 31 जनवरी यानी बुधवार को पड़ रहा है। ऐसे में इस दिन ये ग्रह सबसे ज्यादा प्रभावशाली होंगे। यह उपाय करेंगे तो शुभ होगा।

ज्योतिषाचार्य पंडित अजय दुबे के अनुसार, बुध चंद्रमा के पुत्र हैं। चंद्रग्रहण बुधवार को पड़ रहा है। इसलिए चंद्रग्रहण के समय राहू, केतू, बुध और सूर्य की दृष्टि चंद्रमा पर पड़ रही है। इस कारण यह ग्रहण ज्यादा प्रभावशाली होगा। ऐसे में यह उपाय करेंगे तो आपके लिए शुभ होगा।

सबसे पहले तो किसी भी गरीब व्यक्ति को दूध दान करें। वहीं ॐ सोम सोमाय नमः का नियमित जाप करें। इस दौरान समय व्यर्थ न करते हुए महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। वहीं हनुमान चालीसा पढ़ना भी शुभ होगा।

अगर संभव हो तो इस दिन अनाज, चावल, साबुन, घी, तेल, गुड़ का दान कर दें। इससे घर में सुख समृद्धि आएगी। वहीं असहाय लोगों की मदद भी करें। बता दें कि चंद्रग्रहण का समय शाम 05.18 से 08.4 मिनट तक होगा। लेकिन सुबह सात बजे ही इसका सूतक लग जाएगा।

इस दौरान घरों में भी पानी, दूध आदि में तुलसी का प्रयोग होगा। ग्रहण के हटते ही मंदिरों और घरों की धुलाई आदि की जाएगी। 36 साल बाद पूर्ण चंद्रग्रहण और ब्ल्यू सुपरमून एक साथ होगा। 31 जनवरी को होने वाली यह खगोलीय घटना न केवल भारत बल्कि विश्व के कई देशों में देखी जा सकेगी।

इससे पहले चंद्रग्रहण और ब्ल्यू मून 30 दिसंबर 1982 को एक साथ थे। इस घटना में चंद्रमा का रंग भी बदला हुआ नजर आएगा। माघ पूर्णिमा का यह पहला चंद्रग्रहण है। वहीं अब तक नीला चांद यानी ब्लू सुपरमून का दीदार नहीं कर पाने वालों के लिए इसे देखने का मौका होगा। 31 जनवरी को नीला चांद दिखाई देगा।

इस ग्रहण का सूतक 9 घंटे पूर्व अर्थात प्रात: 8.18 मिनट पर लगेगा। ग्रहण प्रारंभ शाम 5.18 मिनट पर होगा। खग्रास प्रारंभ 6.22 मिनट शाम एवं खग्रास समाप्ति शाम 7.38 मिनट पर होगी। ग्रहण समाप्त रात 8.42 मिनट पर होगा। ग्रहण की अवधि कुल 3 घंटे 24 मिनट रहेगी।

शाम 5.18 मिनट से रात 8.42 मिनट तक सुपर मून नारंगी रंग में दिखाई देगा। देहरादून में चंद्रोदय का समय उस दिन 5.50 मिनट होगा। अत: यहां ग्रहण का पर्व काल 2 घंटा 52 मिनट तक रहेगा

कहा जाता है कि चंद्रग्रहण के समय बना हुआ खाना खराब हो जाता है। इसलिए तुलसी का पत्ता रखा जाता है। तो जानते हैं कि इससे क्या प्रभाव होता है।

ज्योतिषाचार्य पंडित अजय दुबे के अनुसार, तुलसी में पारा होता है। पारा के ऊपर किसी भी किरणों का कोई असर नहीं होता है। चंद्रग्रहण के समय पराबैंगनी किरणों सबसे ज्यादा बुरा असर होता है। इसलिए खाने में तुलसी का पत्त रखने से वह निष्क्रिय हो जाती हैं।

वहीं धार्मिक दृष्टि से देखें तो तुलसी दोषों का नाश करने वाली होती है। इसलिए नेगेटिव ऊर्जा खत्म करने के लिए इसका प्रयोग होता है। वहीं चरणामृत में भी इसका इस्तेमाल इसलिए ही किया जाता है कि इसे अमृत समान समझा जाता है।

आपको ये बात बता दें कि ग्रहण शुरु होने के 9 घंटे पहले सूतक काल शुरु हो जाता है। 31 को सुबह 08:09 पर ही सूतक लग जायेगा। इसलिए इससे पहले ही  पानी के बर्तन में, दूध में और दही में कुश या तुलसी की पत्ती या दूब धोकर डालनी चाहिए। बाद में इसे पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें।

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