अगर सोतें वक़्त चुनते है यह दिशा तो जो जाए सावधान!


कैसी भी थकान हो या कैसी भी बीमारी हो, पर्याप्त नींद इन समस्याओं का सबसे अच्छा उपाय है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है प्रतिदिन पर्याप्त नींद ली जाए। यदि नींद पूरी नहीं हो पाती है तो ये आलस्य को बढ़ाती है और कई बीमारियों का न्यौता देती है। वास्तुशास्त्र के अनुसार गलत दिशा में सोने से आप नींद न आने के साथ ही अन्य कई समस्याओं से भी ग्रस्त हो सकतें हैं। हमें अच्छे से नींद के लाभ मिल सके इसके लिए शास्त्रों में कई प्रकार के नियम बताए गए हैं। इन नियमों का पालन पर व्यक्ति को आरामदायक नींद आती है। 

अच्छी सेहत के लिए पौष्ट‍िक आहार, योग-ध्यान के साथ-साथ नियमित दिनचर्या भी जरूरी है। दिनचर्या में सही वक्त पर नींद लेना भी शामिल है। शास्त्रों में इस बारे में बताया गया है कि सोने का सही तरीका क्या होना चाहिए।

दक्षिण दिशा की ओर सिर रखने के फायदे
दक्षिण दिशा की ओर सिर करके सोना बेहतर माना गया है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक तौर पर पैर उत्तर दिशा में रहेगा। शास्त्रों के साथ-साथ प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, सेहत के लिहाज से इस तरह सोने का निर्देश दिया गया है। यह मान्यता भी वैज्ञानिक तथ्यों पर आधारित है।
उत्तर की ओर क्यों न रखें सिर?
उत्तर की ओर सिर करके सोने से हानि तथा मृत्यु होती है अर्थात आयु क्षीण होती है । दरअसल, पृथ्वी में चुम्बकीय शक्ति होती है, जो दक्षिण से उत्तर की ओर लगातार प्रवाहित होती रहती है । जब हम दक्षिण की ओर सिर करके सोते हैं, तो यह ऊर्जा हमारे सिर ओर से प्रवेश करती है और पैरों की ओर से बाहर निकल जाती है।ऐसे में सुबह जगने पर लोगों को ताजगी और स्फूर्ति महसूस होती है ।
ज़मीन पर रखने पर हमेशा उसका सिर उत्तर तथा पांव दक्षिण की ओर रखे जाते हैं। क्योंकि मरने के बाद उसकी रुह को यमलोक की ओर रवाना होना होता है। इसके अलावा व्यक्ति के मरने के बाद उसकी फोटो को भी घर की उस दीवार पर लटकाया जाता है जो दक्षिण दिशा में बनी हो।
पूरब की ओर भी रख सकते हैं सिर
दूसरी स्थ‍िति यह हो सकती है कि सिर पूरब और पैर पश्चिम दिशा की ओर रखा जाए ।लेकिन पश्चिम दिशा में भी सिर रखना बेहतर नहीं माना जाता । दरअसल, सूरज पूरब की ओर से निकलता है और हमारे धर्म में सूर्य को जीवनदाता और देवता माना गया है. ऐसे में सूर्य के निकलने की दिशा में पैर करना उचित नहीं माना जा सकता. इस वजह से पूरब की ओर सिर रखा जा सकता है किन्तु पश्चिम नहीं। पूर्व की ओर सिर करके सोने से विद्या की प्राप्ति भी होती है।

दक्षिण की ओर पैर :
दक्षिण की ओर पैर करके सोने पर चुम्बकीय धारा पैरों से प्रवेश करेगी है और सिर तक पहुंचेगी। इस चुंबकीय ऊर्जा से मानसिक तनाव बढ़ता है और सवेरे जगने पर मन भारी-भारी रहता है।

दक्षिण-पश्चिम में सिर :
दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र वास्तु विज्ञान में सबसे शक्तिशाली चतुर्भुज है क्योंकि यह ऐसा क्षेत्र है जहां सकारात्मक ऊर्जा संग्रहित है। इस दिशा में सोना भी अच्छा माना जाता है।

सोने से जुड़े कुछ जरूरी निर्देश...

-- शास्त्रों में संध्या के वक्त, खासकर गोधूलि बेला में सोने की मनाही है।
-- सोने से करीब 2 घंटे पहले ही भोजन कर लेना चाहिए. सोने से ठीक पहले कभी भी भोजन नहीं करना चाहिए।
-- अगर बहुत जरूरी काम न हो तो रात में देर तक नहीं जागना चाहिए।
-- जहां तक संभव हो, सोने से पहले चित्त शांत रखने की कोशि‍श करनी चाहिए।
-- सोने से पहले प्रभु का स्मरण करना चाहिए और इस अनमोल जीवन के लिए उनके प्रति आभार जताना चाहिए।

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