यदि किडनी और डायलिसिस जैसी बीमारियों से हमेशा के लिए पाना चाहते है राहत, तो जरूर आजमाए ये उपाय !


गौरतलब है, कि जो लोग किडनी के रोगी है और जिनका डायलासिस चल रहा है या अभी शुरू होने वाला है. इसके इलावा जिनका क्रिएटिनिन या यूरिया कितना भी बढ़ा हो और अगर डॉक्टर्स ने भी उन्हें किडनी ट्रांसप्लांट के लिए बोल दिया हो, तो ऐसे में उन रोगियों के लिए विशेष 3 रामबाण प्रयोग हैं, जो उनको इस प्राणघातक रोग से छुटकारा दिला सकते हैं. आइये आपको बताते है, कि ऐसे कौन से रामबाण उपाय है, जिससे आपको इन खतरनाक रोगों से छुटकारा मिल सकता है.

1. नीम और पीपल की छाल का काढ़ा.. 

सबसे पहले प्रयोग के अनुसार नीम और पीपल के काढ़े का इस्तेमाल करने से आपको इन रोगों से छुटकारा मिल सकता है. इस काढ़े को बनाना भी बहुत ही आसान है.

सामग्री..
  • नीम की छाल – 10 ग्राम
  • पीपल की छाल..10 ग्राम
इसे बनाने की विधि और प्रयोग.. सबसे पहले 3 गिलास पानी में 10 ग्राम नीम की छाल और 10 ग्राम पीपल की छाल लेकर आधा होने तक उबाल ले और काढ़ा बना लें. फिर इस काढ़े को दिन में 3 , 4 भागों में बाँट कर सेवन करते रहें. आपको बता दे कि इस प्रयोग से मात्र सात दिनों में क्रिएटिनिन का स्तर व्यवस्थित हो सकता है या प्रयाप्त लेवल तक भी आ सकता है.

2. गेहूं के जवारों और गिलोय का रस.. 


इसे बनाने की विधि कुछ इस प्रकार है.

सामग्री..1. गेंहू के जवारे यानि गेंहू घास का रस. 
2. गिलोय यानि अमृता का रस.

इसे बनाने की विधि और प्रयोग.. इस प्रयोग के अनुसार गेंहू की घास को धरती की संजीवनी के समान कहा गया है, जिसे नियमित रूप से पीने से मरणासन्न अवस्था में पड़ा हुआ रोगी भी स्वस्थ हो जाता है और इसमें अगर गिलोय यानि अमृता का रस मिला दिया जाए, तो ये मिश्रण अमृत बन जाता है. वैसे गिलोय अक्सर पार्क में या खेतो में लगी हुई मिल ही जाती है.

1. गौरतलब है, कि गेंहू के जवारों का रस 50 ग्राम और गिलोय यानि अमृता की एक फ़ीट लम्बी और एक अंगुली मोटी डंडी का रस निकाल कर, दोनों का मिश्रण दिन में एक बार रोज़ाना सुबह खाली पेट निरंतर लेते रहने से डायलिसिस द्वारा रक्त चाप पाये जाने की अवस्था में आवश्य लाभ होता है.

2. साथ ही इसके निरंतर सेवन से कई प्रकार के कैंसर के रोगों से भी मुक्ति मिलती है. दरअसल रक्त में हीमोग्लोबिन और प्लेटलेट्स की मात्रा तेज़ी से बढ़ने लगती है. इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत बढ़ जाती है. वही रक्त में तुरंत श्वेत कोशिकाएं भी बढ़ने लगती हैं और रक्तगत बीमारियों में आशाजनक सुधार होता है. आपको बता दे कि तीन महीने तक इस अमृतपेय को निरंतर लेते रहने से कई असाध्य बीमारियां ठीक भी हो जाती हैं.

3. इसके इलावा इस मिश्रण को रोज़ाना सुबह खाली पेट थोड़ा थोड़ा घूँट करके पीना है. साथ ही इसको लेने के बाद कम से कम एक घंटे तक कुछ न खाएं.

4. गौरतलब है, कि उदयपुर के पास के गाँव में एक वैद श्री पालीवाल जी का अनुभव है, कि नीम गिलोय की तीन अंगुली जितनी डंठल को पानी में उबाल कर, मसल कर और छानकर पीते रहने से डायलिसिस वाले रोगी को बहुत लाभ मिलता है.

3.गोखरू काँटा काढ़ा.. यह तीसरा और अंतिम प्रयोग है. इसे बनाने की विधि कुछ इस प्रकार है.

विधि और प्रयोग.. इस प्रयोग के अनुसार 250 ग्राम गोखरू कांटा जो आपको पंसारी की दुकान से ही मिल जायेगा, उसे लेकर 4 लीटर पानी मे उबालिए. फिर जब पानी एक लीटर रह जाए तो पानी छानकर एक बोतल मे रख लीजिए और गोखरू का कांटा फेंक दीजिए. इसके बाद इस काढे को सुबह शाम खाली पेट हल्का सा गुनगुना करके 100 ग्राम के करीब पीजिए. वैसे शाम को खाली पेट का मतलब दोपहर के भोजन के 5, 6 घंटे के बाद ही माना जाता है. फिर काढ़ा पीने के एक घंटे बाद ही कुछ खाइए और अपनी पहले की दवाई ख़ान पान का रोटिन सब पहले जैसा ही रखिए.

1. गौरतलब है, कि 15 दिन में यदि आपके अंदर अभूतपूर्व परिवर्तन हो जाए तो डॉक्टर की सलाह लेकर दवा बंद कर दीजिए. फिर जैसे जैसे आपके अंदर सुधार होगा, वैसे ही आप काढे की मात्रा भी कम कर सकते है या दो बार की बजाए इसे एक बार भी पी सकते है.

2. वैसे ज़रूरत के अनुसार ये प्रयोग एक हफ्ते से बढ़ा कर 3 महीने तक भी किया जा सकता है. मगर इसके रिजल्ट 15 दिन में ही मिलने लग जाते हैं. फिर भी अगर कोई रिजल्ट ना आये तो बिना डॉक्टर या वैद की सलाह के इसको आगे ना बढ़ाएं.

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