दस्त रोकने में कारगर है सीताफल


दौड़ती-भागती जीवनशैली के चलते खान-पान में लापरवाही अक्सर दस्त की समस्या पैदा करती है। शादियों और पार्टियों का मौसम जारी है और ऐसे में खानपान में गड़बड़ी की संभावनाएं हो सकती हैं। खानपान में परहेज़ और साफ-सफाई के ज़रिए ही काफी हद तक इस तरह की समस्याओं से निजात पाया जा सकता है। दस्त या हैजा होने पर कुछ पारंपरिक हर्बल उपायों को अपनाया जा सकता है, ताकि इसके दुष्प्रभावों से आसानी से निपटा जा सके। चलिए, आज जानते हैं आदिवासियों के कुछ हर्बल नुस्खे जो अक्सर दस्त से निपटने के लिए आजमाए जाते हैं।

घरेलु नुस्खे

- सीताफल की पत्तियों का काढ़ा तैयार कर दिन में कम से कम चार बार लेने से दस्त में तेजी से आराम मिलता है। काढ़ा बनाने के लिए 20 ग्राम पत्तियों को 100 मिली पानी में तब तक उबालें जब तक कि     यह आधा न बच जाए। फिर इस काढ़े को छानकर इसे रोगी को पिलाएं।

- सिंदूरी पौधे की छाल (50 ग्राम) को 250 ग्राम पानी में 15 मिनट तक उबालें और ठंडा होने पर छानकर पिलाएं, तो दस्त में आराम मिल जाता है। इसका सेवन दिन में तीन बार दो दिन तक किया जाना चाहिए।

-  केवकंद के कंद (5 ग्राम) को कुचलकर इसमें स्वादानुसार धनिया की हरी पत्तियां और अदरक मिलाकर खाने पर दस्त में काफी आराम मिलता है। पतालकोट के आदिवासियों के अनुसार, लगातार दस्त होते रहने पर इसे दिन में कम से कम चार बार लेना चाहिए। तेजी से आराम मिलता है और शरीर की कमजोरी भी दूर होती है।

 - पातालकोट के हर्बल जानकारों के अनुसार, तेंदू के कच्चे फलों के सेवन से दस्त में आराम मिल जाता है। सुबह-शाम तेंदू का एक-एक फल कच्चा चबाने से पेट दर्द और दस्त, दोनों में फायदा होता है।

 - दस्त होने पर कोकम के फलों का चूर्ण (10 ग्राम) एक गिलास ठंडे दूध में मिला कर पीने से भी जल्दी आराम मिलता है। डांग-गुजरात के हर्बल जानकारों का कहना है कि कोकम के साथ दूध हमेशा ठंडा ही लेना चाहिए, क्योंकि गर्म होने पर दूध खराब हो सकता है और इसी वजह से यह दस्तकारक भी हो सकता है।

- मरोडफ़ल्ली के फलों का चूर्ण तैयार कर और उसमें स्वादानुसार अदरक और काला नमक मिलाकर फांकने से भी दस्त में काफी आराम मिलता है।

- ज्यादा दस्त होने पर खुरची की छाल का काढ़ा बनाकर रोगी को दिन में दो से तीन बार दिया जाना चाहिए। पातालकोट के जानकारों के अनुसार, दस्त की रोकथाम के लिए खुरची एक महत्वपूर्ण हर्बल उपाय है।

 - अलसी के बीजों को कच्चा चबाते रहने से भी दस्त में काफी आराम मिलता है। करीब 3 ग्राम अलसी के कच्चे बीजों को दिन में 5-6 बार चबाया जाना चाहिए। माना जाता है कि दस्त और हैजा जैसी समस्याओं के निवारण के लिए यह काफी कारगर है।

-  डांग-गुजरात में आदिवासी आम और बेल के पेड़ की छाल का काढ़ा तैयार करते हैं और इसमें शहद और शक्कर मिलाकर रोगी को दिन में 5 से 6 बार देते हैं। माना जाता है कि दस्त की तेजी से रोकथाम के लिए यह नुस्खा काफी असरकारक होता है।

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