तुलसी से निकल जाती है पथरी, जानें इसके 9 और काम के नुस्खे


तुलसी ऐसा पौधा है जो अमूमन हर घर में पाया जाता है। तुलसी को बेसिल लीव्स के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि तुलसी के पौधे में कई दिव्य गुण हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं तुलसी से कई गंभीर समस्याओं को ठीक किया जा सकता है। भारत के हर हिस्से में तुलसी के पौधे को प्रचुरता से उगता हुआ देखा जा सकता है। इसका पौधा बड़ा पेड़ नहीं बनता, केवल ड़ेढ़ या दो फुट तक बढ़ता है। तुलसी को हिन्दू संस्कृति में अतिपूजनीय पौधा माना गया है। माता तुल्य तुलसी को आंगन में लगा देने मात्र से अनेक रोग घर में प्रवेश नहीं करते हैं और यह हवा को भी शुद्ध बनाने का काम करती है। तुलसी का वानस्पतिक नाम ओसीमम सैन्कटम है। आदिवासी भी तुलसी को अनेक हर्बल नुस्खों में अपनाते हैं, चलिए आज जिक्र करेंगे तुलसी से जुडे आदिवासियों के ऐसे 10 जबरदस्त हर्बल नुस्खों का जिनके बारे में शायद ही आपने कभी सुना हो..

1. किडनी की पथरी में तुलसी की पत्तियों को उबालकर बनाया गया काढ़ा शहद के साथ नियमित 6 माह सेवन करने से पथरी मूत्र मार्ग से बाहर निकल आती है।

2. आदिवासी अंचलों मे पानी की शुद्धता के लिए तुलसी के पत्ते जल पात्र में डाल दिए जाते है। इन्हें कम से कम एक सवा घंटे पत्तों को पानी में रखा जाता है। फिर कपड़े से पानी को छान लिया जाता है और यह पीने योग्य माना जाता है। 

3. औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के रस में थाइमोल तत्व पाया जाता है जिससे त्वचा के रोगों में लाभ होता है। पातालकोट के आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार, तुलसी के पत्तों को त्वचा पर रगड़ दिया जाए तो त्वचा पर किसी भी तरह के संक्रमण में आराम मिलता है। 

4. दिल की बीमारी में यह वरदान साबित होती है, क्योंकि यह खून में कोलेस्ट्राॅल को नियंत्रित करती है। जिन्हें दिल की बीमारी हुई हो, उन्हें तुलसी के रस का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। तुलसी और हल्दी के पानी का सेवन करने से शरीर में कोलेस्ट्राॅल की मात्रा नियंत्रित रहती है और इसे कोई भी स्वस्थ व्यक्ति सेवन कर सकता है।

5. तुलसी की पत्तियों का रस निकाल कर उसमें बराबर मात्रा में नींबू का रस मिलाएं। इसे रात को चेहरे पर लगाने से फोड़े-फुंसियां ठीक हो जाती हैं और चेहरे की रंगत में निखार आता है।

6. तुलसी को थकान मिटाने वाली एक औषधि भी माना जाता है, ज्यादा थकान या तनाव होने पर तुलसी के पत्तियों और मंजरी का सेवन करें थकान दूर हो जाएगी।

7. फ्लू रोग तुलसी के पत्तों का काढ़ा, सेंधा नमक मिलाकर पीने से ठीक होता है। डाँग- गुजरात में आदिवासी हर्बल जानकार फ्लू के दौरान बुखार से ग्रस्त रोगी को तुलसी और सेंधा नमक लेने की सलाह देते हैं।

8. इसके नियमित सेवन से "क्रोनिक-माइग्रेन" के निवारण में मदद मिलती है। रोजाना दिन में 4- 5 बार तुलसी से 6-8 पत्तियों को चबाने से कुछ ही दिनों में माईग्रेन की समस्या में आराम मिलने लगता है।

9. शिवलिंगी के बीजों को तुलसी और गुड़ के साथ पीसकर नि:संतान महिला को खिलाया जाए तो उसे जल्द ही संतान सुख मिलता है।

10. घमाैरियों के इलाज के लिए डांग- गुजरात के आदिवासी संतरे के छिलकों को छांव में सुखाकर पाउडर बना लेते हैं। इसमें थोड़ा तुलसी का पानी और गुलाबजल मिलाकर शरीर पर लगाते हैं, ऐसा करने से तुरंत आराम मिलता है।

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