अस्थमा को जड़ से मिटा देंगे ये आसान से 4 आसन, जरुर आजमाइए


दमा होने पर श्वास नली सिकुड़ जाती है जिस वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है। ऐसे लोगों की धूल मिट्टी में सांस फूलने लगती है। इसके लिए दवा-दारू के अलावा आप योगा भी कर सकते हैं। तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि दमा होने पर योगा किस तरह कारगर साबित होता है।

अनुलोम-विलोम :

इसमें सांस लेने की विधि को दोहराया जाता है। इसमें आपको पद्मासन में बैठना होता है। इसके बाद दाएं हाथ से नाक के दाएं छिद्र को बंद करें फिर बाएं छिद्र से सांस लें। अंगूठे की साथ वाली दो उंगलियों से बायीं नाक के छिद्र को दबा दें और दायीं ओर से सांस छोड़े। शुरू में इस क्रिया को तीन मिनट तक और आदत पढ़ने के बाद 10 मिनट तक करना शुरू करें।

उत्तानासन :

इसमें आपको झुक कर खड़ा होना होता है। लेकिन ध्यान रहे कि आपकी कमर एकदम सीधी हो। इससे दमा में आराम तो मिलता ही है साथ कब्ज आदि की समस्या भी दूर होती है।

शवासन :

ये सबसे आसान आसनों में से एक माना जाता है। सबसे पहले अपनी चटाई पर सीधे लेट जाएं, अपनी हथेलियों को सीधे रखें और एकदम ढीला छोड़ दें। दोनों पैरों के बीच करीब एक फुट का गैप बनाएं। अपनी आंखों को बंद कर दें और पूरा ध्यान श्वास लेने पर लगाएं। इससे दमा के साथ-साथ तनाव भी दूर होता है।

अर्धमत्स्येन्द्रासन :

सबसे पहले बाएं पैर को मोड़कर बायीं एड़ी को दाहिनें हिप के नीचे रखें। अब दाएं पैर को घुटने से मोड़ते हुए दाएं पैर का तलवा लाएं और घुटने की बायीं ओर जमीन पर रखें। इसके बाद बाएं हाथ को दाएं घुटने की दायीं ओर ले जाएं और कमर को घुमाते हुए दाएं पैर के तलवे को पकड़ लें और दाएं हाथ को कमर पर रखें। सिर से कमर तक के हिस्से को दायीं और मोड़ें। अब ऐसा दूसरी ओर से भी करें। इसे करने से पीठ, गर्दन, कमर, नाभिसे नीचे के भाग और छाती की नाड़ियों में खिंचाव आते है। इससे फेफड़ों में आराम से ऑक्सीजन जाती है। दमा रोगियों के लिए यह आसन बहुत फायदेमंद रहता है। 

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