आयुर्वेद में दूब में उपस्थित अनेक औषधीय गुर्णों के कारण दूब को महा औषधि कहा गया है. विभिन्न प्रकार के कफ विकारों को दूर करने के लिए दूब का प्रयोग किया जाता है. यह मूर्छा, अतिसार, अर्श, रक्त पित्त, गर्भपात, योन रोग इत्यादि में विशेष लाभकारी है.
रोगों में ली जाने वाली मात्रा :
- दूब का रस 10 - 20 मिलीलीटर
- काढ़ा 40 - 80 मिलीलीटर
- पत्तियों का चूर्ण 1 - 3 ग्राम
- जड़ का चूर्ण 3 - 6 ग्राम
जानिये दूब के चमत्कारिक औषधीय प्रयोग
1. खूनी बवासीर:
- तालाब के नजदीक की हरी दूब को मिट्टी के बर्तन में थोड़े पानी के साथ आंच पर चढ़ाकर उबालने से खूनी बवासीर का दर्द शान्त होता है।
- दूब के पत्तों, तनों, टहनियां और जड़ों को दही में पीसकर मस्सों व गुदा में लगायें और सुबह-शाम 1 कप की मात्रा में सेवन करें। इससे खूनी बवासीर में लाभ मिलेगा।
2. चोट से रक्तस्राव:
- चोट से खून निकलने पर दूब का लेप बनाकर लगाने से और पट्टी बांधने से रक्तस्राव (खून बहना) रुक जाता है और जख्म जल्द ही भर जाता है।
- कटने या चोट लगने से यदि रक्तस्राव (खून बहना) हो तो दूब को कूटकर उसका रस निकालकर उसमें कपड़े को भिगोकर चोट पर उस कपड़े को बांधने से खून का बहना बंद हो जाता है।
3. नाक से खून निकलना:
नाक से खून निकले तो ताजी व हरी दूब का रस 2-2 बूंद नाक के नथुनों में टपकाने से नाक से खून आना बंद हो जायेगा।
4. मुंह के छाले:
दूब के काढ़े से दिन में 3-4 बार गरारे करने से मुंह के छालों में लाभ पहुंचता है।
5. त्वचा के रोग:
दूब के रस और सरसों के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर गर्म करें जब पानी उड़ जाए तो इस तेल को चर्म विकारों (चमड़ी के रोगों) पर दिन में 2-3 बार लगाने से लाभ होता है।
6. दाद, खाज-खुजली:
हल्दी के साथ बराबर मात्रा में दूब पीसकर बने लेप को नियमित रूप से 3 बार लगाने से दाद, खाज-खुजली और फुंसियां ठीक हो जाती हैं।
7. मानसिक रोग:
शरीर में ज्यादा गर्मी, जलन, महसूस होने पर दूब का रस सारे शरीर पर लगाने से मानसिक रोग के कष्ट में आराम मिलता है।
8. सिर दर्द:
जौ को 3 चम्मच दूब के रस में घोटकर सिर पर मलने से सिर दर्द दूर होता है।
9. हिचकी:
दूब का रस और 1 चम्मच शहद मिलाकर पीने से हिचकी आना बंद होती है।
10. पेशाब में जलन:
4 चम्मच दूब के रस को 1 कप दूध के साथ सेवन करने से पेशाब के जलन में लाभ मिलता है।
11. पेशाब उतरने में कष्ट:
10 ग्राम दूब की जड़ को 1 कप दही में पीसकर सेवन करने से पेशाब करते समय का दर्द दूर हो जाता है।
12. प्यास की अधिकता:
हरी दूब का 2 चम्मच रस 3-4 बार सेवन करने से किसी भी रोग में प्यास दूर हो जाती है।
13. पथरी:
दूब को जड़ सहित उखाड़कर उसकी पत्तियों को तोड़कर अलग कर लेते हैं फिर इसे पीसकर, इसमें स्वादानुसार मिश्री डालकर, पानी के साथ छान लेते हैं। इसे 1 गिलास की मात्रा में रोजाना पीने से पथरी गल जाती है और पेशाब खुलकर आता है।
14. फोड़ा:
पके फोड़े पर रोजाना दूब को पीसकर लेप करने से फोड़ा फूट जाता है।
15. आंखों की जलन:
ताजी दूब को बारीक पीसकर 2 चपटी गोलियां बना लेते हैं। इन गोलियों को आंखों की पलकों पर रखने से आंखों का जलन और दर्द समाप्त हो जाता है।