पथरी के लिए रामबाण दवा है कुलथी

  • किडनी की पथरी एक आम समस्‍या है।
  • रोगी को अचानक से दर्द होता है।
  • कुलथी को पथरीनाशक माना जाता है।
  • कुलथी दाल में विटामिन 'ए' पाया जाता है।

अगर आप गुर्दे की पथरी के दर्द से परेशान हैं और इस दर्द से बचने के लिए उपायों की खोज कर रहे हैं तो आपकी इस समस्‍या का समाधान हम आपके लिए कुलथी की दाल के रूप में लेकर आये हैं। विश्‍वास नहीं हो रहा तो आइए इस आर्टिकल को पढ़ते हैं। 

किडनी की पथरी एक आम समस्‍या है जो अक्सर गलत खान-पान, जरूरत से कम पानी पीने के कारण होती है। इस समस्‍या के चलते किडनी के अंदर छोटे-छोटे पत्‍थर जैसे कठोर स्‍टोन बन जाती है। पथरी एक पीड़ादायक रोग है। जिसमें रोगी को अचानक से दर्द होता है। और पथरी जब मूत्रनली में आ जाती है तब रोगी को तेज दर्द होता है। यह दर्द सहने योग्य नहीं होता। पथरी की समस्‍या में उल्टी आना, पेशाब का रुक-रुक कर आना, मूत्र में खून आना, मूत्र मार्ग में तेज दर्द होना आदि लक्षण देखने को मिलते हैं। इस समस्‍या का इलाज आप कुलथी की दाल से कर सकते हैं। आइए जानें पथरी दूर करने में कुलथी की दाल कैसे मदद करती है।

पथरी के इलाज के लिए कुलथी

कुलथी की दाल को पथरीनाशक माना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार कुलथी की दाल में विटामिन 'ए' पाया जाता है, यह शरीर में विटामिन 'ए' की पूर्ति कर पथरी को रोकने में मदद करता है। यह दाल उड़द के समान और लाल रंग की होती है। इसकी दाल बनाकर रोगी को दी जाती है जिससे पथरी निकल जाती है। यह आपको बाजार में पंसारी की दुकान पर आसानी से मिल सकती है।

कुलथी की दाल का प्रभाव

कुलथी की दाल के सेवन से पथरी टूटकर या धुलकर छोटी हो जाती है, जिससे पथरी सरलता से मूत्राशय में जाकर यूरिन के रास्ते से बाहर आ जाती है। मूत्रवर्धक गुण होने के कारण इसके सेवन से यूरिन की मात्रा और गति बढ़ जाती है, जिससे रुके हुए पथरी के कण पर दबाव ज्यादा पड़ता है और दबाव ज्‍यादा पड़ने के कारण वह नीचे की तरफ खिसक कर बाहर आ जाती है।

कैसे करें कुथली का इस्तेमाल

कुथली की दाल को 250 ग्राम मात्रा में लें और इसे अच्छे से साफ कर लें। और रात को 3 लीटर पानी में भिगोकर रख दें। सुबह होते ही इस भीगी हुई दाल को पानी सहित हल्की आंच में 4 घंटे तक पकाएं। और जब पानी 1 लीटर रह जाए तब उसमें देशी घी का छौंक लगा दें। आप उसमें काली मिर्च, सेंधा नमक, जीरा और हल्दी डाल सकते हैं। यह 1 सेंटीमीटर से छोटी पथरी के लिए सफल औषधि है।

कुथली का पानी बनाने का तरीका

250 ग्राम पानी में 20 ग्राम कुथली की दाल को डालें। और रात में ढक कर रख लें। सुबह इस पानी को अच्छे से मिलाकर खाली पेट पी लें। जिस इंसान को पथरी एक बार हो जाती है, उसे दोबारा होने का खतरा होता है। इसलिए पथरी निकलने के बाद भी रोगी को कुथली का कभी-कभी सेवन करते रहना चाहिए। पथरी में कुलथी औषधि के समान है।

पथरी होने पर क्या खाएं और किन चीजों से करें परहेज 

पथरी में कुलथी के अलावा आप खरबूजे के बीज, मूली, आंवला, जौ, मूंग की दाल और चोलाई की सब्जी भी खा सकते हैं। साथ ही रोज 7 से 8 गिलास सादा पानी पिएं। पथरी के रोगी को उड़द की दाल, मेवे, चॉकलेट, मांसाहार, चाय, बैंगन, टमाटर और चावल नहीं खाने चाहिए।

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