आयुर्वेदिक दवाएं प्रभावी रहे हैं निमोनिया के इलाज में


जब किसी कारण से फेफड़े में सूजन आ जाती है तो उसे निमोनिया कहते हैं। निमोनिया रोग में केवल एक ही फेफड़ा सूजता है लेकिन जब किसी कारण से दोनों फेफड़ों में सूजन आ जाती है तो उसे डबल निमोनिया कहते हैं। फेफड़ों की सूजन को ही ´फुफ्फुस प्रदाह या निमोनिया´ कहते हैं। इस रोग में फेफड़े सूजकर सख्त और कठोर हो जाते हैं। छोटे बच्चों में होने वाला यही रोग डब्बा रोग (पसली चलना) कहलाता है। यह रोग सन्निपात ज्वर की ही एक अवस्था है। 

कारण : 

निमोनिया का रोग मौसम बदलने, ज्यादा मेहनत करने, ज्यादा ठंड़ा पानी पीने, ठंड़ी हवा में रहने और खाने मे ज्यादातर ठंड़ी चीजों का सेवन करने आदि कारणों से होता है। कुछ चिकित्सकों का मानना है कि यह रोग किसी विशेष कीटाणुओं के कारण उत्पन्न होता है। इस रोग का उपचार तुरन्त न होने पर यह जानलेवा हो सकता है। 

लक्षण : 


निमोनिया रोग से पीड़ित रोगी को पहले ठंड़ लगती है और फिर बुखार आ जाता है। रोगी की आंख व चेहरा लाल होता है, बहुत ज्यादा प्यास लगती है, जीभ मैली हो जाती है, सिर दर्द होता है, भूख कम लगती है, सूखी खांसी के दौरे पड़ते रहते हैं, छाती बहुत गर्म हो जाती है, सांस लेने में परेशानी होती है तथा फेफड़े गलने लगते हैं। यह एक कठिन व फैलने वाला रोग है। इस रोग में जब बुखार बहुत तेज होता है तो खांसी के साथ रोगी की पसलियों में भी दर्द होता है। निमोनिया रोग से पीड़ित रोगी की छाती में कफ जमा हो जाता है और दम फूलने लगता है। सांस लेते समय छाती में कफ की आवाज आती रहती है। पसलियों के निचले हिस्से में गड्ढ़ा पड़ने लगता है, आंखे चढ़ जाती हैं, चेहरा फीका पड़ जाता है, रोगी को बड़ी बेचैनी होती है, होंठ नीले पड़ जाते हैं, पसलियों में दर्द होता रहता है और जीभ सूखकर काली पड़ जाती है। 

भोजन और परहेज : 


निमोनिया के रोग में जल्दी पचने वाली चीजें खानी चाहिए और पूरा आराम करना चाहिए। भोजन में परवल, तोरई, करेला, सेब, अनार, पालक तथा कुलथी का रस सेवन करना चाहिए। जौ या गेहूं की रोटी खानी चाहिए। दोपहर के समय गाय के दूध में अदरक डालकर पीना चाहिए। पानी को उबालकर रखकर ठंड़ा करके घूंट-घूंट पीना चाहिए। खाने के बाद 8-10 कदम जरूर चलना चाहिए। दूध में चीनी या चीनी के स्थान पर शहद का प्रयोग करना चाहिए। चिकनाई वाले पदार्थ जैसे घी-तेल का सेवन नहीं करना चाहिए। कसरत, शारीरिक या दिमागी मेहनत, मैथुन, ठंड़े पानी का सेवन, क्रोध, दिन में सोना, दूध तथा दूध से बने गरिष्ठ पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। खटाई, पीठी तथा मैदे की मिठाई, तरबूज, मांस, मछली तथा पान का सेवन नहीं करना चाहिए।

विभिन्न औषधियों से उपचार :

1. बारहसिंगा : बारहसिंगा को पानी में घिसकर पसली पर लेप करने से फुफ्फुस प्रदाह (निमोनिया) रोग समाप्त होता है।
2. मूली : बच्चों के सांस रोग, दमा या पसली चलना रोग होने पर मूली के बीज और काकड़ासिंगी बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग की मात्रा में घी व शहद के साथ 6 घंटे बच्चे को चटाएं। इससे दमा, सांस रोग व फुफ्फुस की सूजन दूर होती है।
3. मजीठ : 1 से 3 ग्राम मजीठ के चूर्ण को प्रतिदिन 3 बार शहद के साथ रोगी को सेवन करना चाहिए। यह फुफ्फुस की जलन, सूजन व दर्द को समाप्त करता है।
4. नमक : फुफ्फुस प्रदाह (निमोनिया) के रोग से पीड़ित रोगी को नमक की पोटली बनाकर छाती पर आगे व पीछे से सिंकाई करना चाहिए। इससे कफ (बलगम) ढीला होकर बाहर निकल जाता है और दर्द व सूजन से आराम मिलता है।
5. अडूसा : बच्चों के गले और छाती में घड़घड़ाहट होने पर लाल अडूसा के पत्तों का रस 10 से 20 बूंद लेकर सुहागा की खील या छोटी पीपल में मिलाकर लें और शहद के साथ 4 से 6 घंटे के अन्तर पर सेवन करें। इससे छाती में जमा कफ निकल जाता है और फुफ्फुस (फेफड़ों) की सूजन दूर होती है। काले अड़ूसा के 4 पत्तों का रस, सहजने की छाल का रस, सामुद्रिक नमक और शहद मिलाकर प्रतिदिन सेवन करने से फेफड़ों की सूजन व जलन समाप्त होती है।
6. गाय का मूत्र : गाय के मूत्र में नमक मिलाकर आधा-आधा चम्मच सुबह-शाम रोगी को पिलाने से निमोनिया रोग ठीक होता है।
7. सिनुआर : 10 से 20 मिलीलीटर सिनुआर के पत्तों का रस सुबह-शाम रोगी को देने से और सिनुआर, करंज नीम और धतूरे के पत्तों को पीसकर हल्का गर्म कर छाती पर लेप करने से लाभ मिलता है। इसका लेप सीने पर लगाकर कपड़ा लपेटकर बांध देना चाहिए। इसका उपयोग कुछ दिनों तक करने से फेफड़ों की सूजन दूर होती है और दर्द ठीक होता है। सिनुआर के पत्तों का काढ़ा बनाकर प्रतिदिन सेवन करने से फुफ्फुस की सूजन दूर होती है।
8. सुहागा : भुना हुआ सुहागा और भुना हुआ नीलाथोथा 3-3 ग्राम लेकर पीस लें और अदरक के रस में मिलाकर बाजरे के आकार की गोलियां बनाकर छाया में सुखा लें। इसमें से 1-1 गोली मां के दूध के साथ दिन में 2 बार बच्चे को सेवन करने से निमोनिया (फुफ्फुस प्रदाह) रोग ठीक होता है। 1 चुटकी फूला सुहागा, 1 चुटकी फूली फिटकरी, 1 चम्मच तुलसी का रस, 1 चम्मच अदरक का रस और आधा चम्मच पान के पत्तों का रस। इन सभी को एक साथ मिलाकर शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया (फुफ्फुस प्रदाह, फेफड़ों की सूजन) आदि में बेहद लाभ मिलता है।
9. लहसुन : 5 मिलीलीटर लहसुन का रस तथा 20 ग्राम शहद को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार खाने से चटाने से फेफड़ों की सूजन दूर होती है। 1 चम्मच लहसुन का रस गर्म पानी में डालकर बच्चे को पिलाने से निमोनिया का रोग ठीक होता है। लहसुन की कलियों को आग में भूनकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण 1 चुटकी की मात्रा में शहद के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करें। इससे फेफड़ों की सूजन व जलन दूर होती है। निमोनिया में इस रोग में एक चम्मच लहसुन का रस गर्म पानी मे मिलाकर पीने से सीने का दर्द दूर होता है।
10. कपूर : 2 ग्राम कपूर और 10 मिलीलीटर तारपीन का तेल मिलाकर पसलियों पर मालिश करने से निमोनिया रोग में लाभ मिलता है। कपूर को 4 गुने सरसों के तेल में मिलाकर पसलिसों की मालिश करने से पसलियों का दर्द ठीक होता है।
11. तेजपात : तेजपात, बड़ी इलायची, नागकेसर, कपूर, शीतल चीनी, अगर, और लौंग को मिलाकर काढ़ा बनाकर सुबह-शाम सेवन करें। इससे फेफड़ों की सूजन में बेहद लाभ मिलता है।
12. अदरक : अदरक और तुलसी का रस 1-1 चम्मच लेकर शहद के साथ सेवन करने से फुफ्फुस प्रदाह दूर होती है। अदरक रस में 1 या 2 वर्ष पुराना घी व कपूर मिलाकर गरम कर छाती पर मालिश करने से निमोनिया में आराम मिलता है।
13. हींग : निमोनिया से पीड़ित रोगी को लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग हींग को 3-4 मुनक्के में भरकर दिन में 3 बार खाने से एक सप्ताह के अन्दर ही निमोनिया ठीक हो जाता है।
14. तुलसी : 20 तुलसी के हरे पत्ते, 5 कालीमिर्च, 3 लौंग, 2 चुटकी हल्दी और एक गांठ अदरक। इन सभी को लेकर एक कप पानी में उबालें और जब पानी आधा कप बचा रह जाए तो इसे छानकर दिन में 2 बार पीएं। इस तरह यह काढ़ा लगभग 10 दिनों तक सुबह-शाम सेवन करने से फुफ्फुस प्रदाह ठीक होता है। तुलसी के पत्ते का रस, सोंठ, कालीमिर्च और पीपल का चूर्ण बराबर मात्रा में लेकर सेवन करने से निमोनिया रोग समाप्त होता है। 20 तुलसी के हरे पत्ते और 5 कालीमिर्च पीसकर पानी में मिलाकर पीने से निमोनिया में लाभ मिलता है।
15. शहद : निमोनिया रोग में रोगी के शरीर की पाचन-क्रिया प्रभावित होती है इसलिए सीने तथा पसलियों पर शुद्ध शहद की मालिश करना चाहिए और थोड़े से शहद गुनगुने पानी में डालकर पिलाना चाहिए।
16. आंवला : आंवला, जीरा, पीपल, कौंच के बीज और हरड़ को लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और यह चूर्ण शहद के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे फुफ्फुस प्रदाह भी ठीक होता है।
17. समुद्रफल : बच्चों के फुफ्फुस प्रदाह रोगों में समुद्रफल को पीसकर छाती और पेट पर लगाने से रोग ठीक होता है।
18. नागदन्ती : 3 से 6 ग्राम नागदन्ती की जड़ का चूर्ण, दालचीनी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से निमोनिया का रोग तुरन्त ठीक होता है।
19. भंगरैया : यदि छोटे बच्चे की छाती में घबराहट हो और खांसी आती हो तो 1 से 2 बूंद भंगरैया का रस प्रतिदिन 3 बार सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से बच्चों का डब्बा रोग ठीक होता है।
20. रानीकूल (मुनियारा) : निमोनिया के रोग में 3 से 6 ग्राम रानीकूल के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का चूर्ण शहद के साथ सेवन करने से निमोनिया रोग ठीक होता है।
21. अगस्त : अगस्त की जड़ की छाल पान में रखकर चूसने या इसका रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से कफ (बलगम) निकल जाता है। इसके सेवन से पसीना निकलकर बुखार धीरे-धीरे कम हो जाता है।
22. पोदीना : पोदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर हर 1-1 घंटे पर सेवन करने से न्युमोनिया रोग ठीक होता है।
23. पीपल : बच्चों की पसली चलना रोग में 2 पीपल को आग पर भूनकर पीस लें और इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में 3 बार खिलाने से बच्चों की पसली चलना बन्द होता है।
24. नीम : नीम के पत्तों का रस हल्का गर्म करके छाती पर मालिश करने से फेफड़ों की सूजन दूर होती है।

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